नरेन्द्र मोदी जी की विजय आशातीत थी और इसका कारण समझना काफी आसान है. राजनितिक मुद्दों में जब मीडिया वाले लोगों को उलझा रहे थे, जब कोलाहल का माहौल बनाया जा रहा था, गाली-गलोज़, बड़े स्तर पर जोड़-तोड़ ज़ारी थी, कैडर को दूरबीने ले कर खड़े कर दिया गया था, तब एक बड़ा साफ़ संकेत सामने आ रहा था, आम आदमी चुप सा हो गया था. फेसबुक, व्हात्सप्प और ट्विटर पर बस पी.आर. और मीडिया वाले बेवकूफ बना रहे थे.
जब राजनितिक हलके जिसको धर्म और संप्रदाय का मसला समझ कर समीकरण भिड़ा रहे थे वो असलियत में “नए भारत” या ज्यादा सटीक रूप से कहें तो नए हिंदुस्तान या न्यू इंडिया की संस्कृति के उदय की आशा का मसला था, और ये प्रचार ऐसा नहीं था की सिर्फ चुनाव के समय किया गया, ये लगातार चला, सालों चला.
न्यू इंडिया का जो सकारात्मक संवाद सामने रखा गया, और एक दूरदर्शी अनुशासन के साथ लम्बे समय तक लगातार बढाया गया वैसा भारत में आमतौर पर देखा नहीं जाता.
भारत जहाँ नेता चुनाव से तीन महीने पहले जागते हैं और फेसबुक और सोशल मीडिया पर पैसा फेंकने लगते हैं, इसमें सालों साल लगातार नए नए तरीकों से अपने संवाद को लोगों के सामने लाना और उसको सुधारना सत्ता पक्ष की एक बड़ी उपलब्धि रही है, और इसमें कैडर को बड़ा श्रेय जाता है.
भारत के आम वोटर में एक खास बात है, वो बोलता कम है, और जब बोलता भी है तो खुद को ठीक से प्रस्तुत नहीं कर पाता, जब मीडिया वाले पार्टी विशेष के समर्थकों को कैमरे के सामने बेईज्ज़त करते थे, या फनी एडिटिंग कर मीम बनाते थे, तो असर उल्टा जा रहा था, वो उस वोटर की शारीरिक भाषा से साफ़ दिख रहा था.
पेट्रोन (एक अमेरिकी पेमेंट सिस्टम) से पैसा ले कर वायरल और आँखे खोल देने वाले विडियो बनाने वाले भी जब बार बार प्रचार के समय बोलते थे की हमें तो पेट्रोन पर कुछ राष्ट्रभक्त “क्राउड-फण्ड” कर रहे हैं, एक आम आदमी को समझ आ रहा था, और राजनितिक फैक्ट चेक और “न्यू इंडिया” की राष्ट्रीय आशा, परिभाषा के अंतर को भी एक आम जन ने बखूबी समझा.
भारत की अलग अलग पार्टियों के कैडर से बातचीत कर के हमने पाया है की हर पार्टी में बड़ी संभावनाएं हैं, कैडर हर तरफ़ मेहनती और ईमानदार है, ज़मीन से जुड़ा हुआ है गहरी समझ रखता है. फ़र्क यही रहा है की सत्ता नहीं होने पर कैडर सिर्फ़ रिएक्शनरि मोड अपना लेता है, हताश हो जाता है और सिर्फ विरोध करना ही उसका मैंडेट रह जाता है, जो की आज के समय की गलत रणनीति है, जो भविष्य के दरवाज़े बंद करती है. मोदी जी इसका एक बड़े उदाहरण है, जिनकी राष्ट्र सेवा करने की ललक और उसके लिए की जाने वाली मेहनत - जीत, हार, निराशा आशा से परे है.
अगर स्मृति ईरानी जी और राहुल गांधी जी का अमेठी चुनाव देखें तो साफ़ दिखता है की पिछले पांच साल से स्मृति ईरानी जी ने क्षेत्र में लगातार सकारात्मकता एवं अनुशासन से अपनी जगह बनायीं, वही उनकी भारी जीत का कारण रहा है.
बहरहाल राजनीती में सत्ता लम्बा समय लेती है, हारें या जीतें अनुशासन और सकारात्मकता के साथ, सही मुद्दों पर काम करते रहना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है, और इसके साथ एक-दिशा और विज़न जुड़ जाये तो राष्ट्र की सेवा करने का अवसर आज नहीं तो कल मतदाता ज़रूर देगा ही.
आज का समय राष्ट्रीय पहचान और अपने राष्ट्र के एक विस्तृत विज़न के अनुसार कार्य करने का है. वर्तमान के साथ साथ इतिहास, शिक्षा के साथ राष्ट्रपरक रोज़गार, नदी, पर्यावरण के साथ आयात निर्यात नीति पर पकड़ होना बेहद आवश्यक है. पाकिस्तान के साथ चीन, और रूस के साथ यूरोप पर भी पढना ज़रूरी है.
बैलटबॉक्सइंडिया के फ्रंट पेज पर पर लगातार कुछ मज़बूत संवाद प्रेषित किये जाते हैं , जिन्हें हम भविष्य में विस्तार देते रहेंगे.
भारत का स्थानीय नेतृत्व चाहे वो सत्ता में हो या विपक्ष में, जुड़े रहें, विज़न के साथ लगातार कार्य करते रहें, क्षेत्र की आशा का प्रतिक बनें, क्षेत्र के साथ संवाद बना रहे.
जय हिन्द.
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