Amal Kumar
  • Home
  • About
  • Updates
  • Join
  • जन सुनवाई

कोसी नदी - कोसी को लेकर अंग्रेजों के बदलते विचार

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra
  • August-31-2018

कोसी घाटी की नदियों की बाढ़ को ख़त्म कर देने का अंग्रज़ों का जोश अब धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगा था। अब न तो उन्हें तटबन्धों के बाहर सुरक्षित क्षेत्रें में चारों ओर फैली हरियाली दीखती थी और न ही कहीं सम्पत्ति सुरक्षित दिखाई पड़ती थी और वह इस तरह के निर्माण कार्य से किनारा करने लगे थे। सन् 1869 और 1870 में कोसी घाटी में भीषण बाढ़ें आईं और पूणियाँ जिले में गंगा और कोसी के पानी के फैलाव से काफी तबाही हुई और जान-माल का काफी नुकसान हुआ यद्यपि यह एक वार्षिक कर्मकाण्ड था। 

हन्टर का कहना था कि, “कोसी पर तटबन्ध बनाने का एक प्रस्ताव किया जा सकेगा मगर इस योजना पर अमल हो पायेगा, कह पाना मुश्किल है। कलक्टर का मानना है कि, बाढ़ के वर्षों में ऊपरी ज़मीन में बहुत अच्छी उपज होती है और इसके बाद रबी की ज़बर्दस्त फसल होती है जिससे बाढ़ में हुये धान के नुकसान की भी भरपाई हो जाती है। यह आम बात है और मनिहारी, धमदाहा और गोण्डवारा के पुलिस क्षेत्रें में तो ऐसा निश्चित रूप से होता ही है।” कोसी पर तटबन्ध निर्माण की दिशा में यह शायद पहला इशारा था जिसे बाद में छोड़ दिया गया। लेकिन इतना जरूर हुआ कि कोसी की बाढ़ से निजात पाने के लिए लोगों की अपेक्षायें जगीं। ब्रिटिश हुकूमत इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए अपने दमख़म पर कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि मैदानी इलाकें में कोसी की एक अच्छी ख़ासी लम्बाई (लगभग 40 किलोमीटर) नेपाल में पड़ती थी और उसकी इज़ाज़त और रज़ामन्दी के बिना नदी को उस जगह हाथ भी नहीं लगाया जा सकता था।

दोनों देशों की सरकारों के बीच आपसी मतभेद कोसी को नियंत्रित करने की दिशा में एक काफी बड़ा रोड़ा था। नेपाल के जंगल क्षेत्र और ब्रिटिश भारत के मैदानी इलाकों के बीच सीमा विवाद को लेकर ब्रिटिश और नेपाल सरकार के बीच हमेशा तनातनी की स्थिति बनी रहती थी। यह तनाव उन इलाकों में तो और भी तेज़ होता था जहाँ देशों के बीच की सीमा कोई नदी तय करती थी। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में दोनों देशों के सम्बन्धों में कुछ सुधार आया जिसके फलस्वरूप सुगौली सन्धि पर दस्तख़त हुये। इस समझौते के तुरंत बाद 1891 में अंग्रेज़ों ने तटबन्ध बना कर कोसी को घेरने की कोशिश की। 

“भारत सरकार ने नेपाल सरकार के साथ एक लम्बा और विषद् पत्रचार किया और नेपाल में कोसी की धारा को स्थिर रखने के लिए 15,000 रुपयों की लागत से नदी पर तटबन्ध बनाने की इज़ाज़त मांगी। नेपाल के प्रधानमंत्री ने इससे अपनी सहमति जताई क्योंकि नेपाली सीमा के अन्दर 46 किलोमीटर की नदी की लम्बाई में वहाँ बाढ़ से सुरक्षा मिलने का अनुमान था। दुर्भाग्यवश उस वर्ष (1891) में मई के तीसरे सप्ताह में ही मूसलाधार बारिश हुई और तटबन्ध का निर्माण खटाई में पड़ गया।”

सन् 1893 में इस बात का अंदेशा व्यक्त किया जाने लगा था कि कोसी एकाएक अपनी धारा बदलेगी और अपनी किसी पुरानी धारा में पूरब की ओर चली जायेगी। इस बात की भी आशंका थी कि यह परिवर्तन उत्तर में नेपाल की तराई में होगा। बंगाल प्रांत के तत्कालीन चीफ इंजीनियर विलियम इंगलिस ने कोसी क्षेत्र का 1894 में दौरा किया और वह नेपाल के काफी अन्दर तक इस नीयत से गये कि वह कोसी को नियंत्रित करने के लिए कोई रास्ता सुझा सकें। उन्होंनें एकाएक नदी की धारा के पूरब की ओर चले जाने की सम्भावना से इंकार किया और नदी के प्राकृतिक प्रवाह के साथ कोई छेड़-छाड़ न करने की सलाह दी और कहा कि नदी जैसे बहती है उसे वैसे ही बहने दिया जाय और उस पर तटबन्ध नहीं बनायें जायें। सरकार ने इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।

उधर पूर्णियाँ के शिलिंगफ़ोर्ड नाम के एक निलहे अंग्रेज़ ने (1895) में कहा कि कोसी अपनी पश्चिमी और पूर्वी सीमा के बीच में घड़ी के पेण्डुलम की तरह से एक छोर से दूसरे छोर तक घूमती रहती है और उस समय कोसी का रुझान पश्चिम की ओर बढ़ रहा था। शिलिंगफ़ोर्ड का कहना था कि, “कोसी अपने पश्चिमी छोर पर पहुँच जाने के बाद एक बार फिर अपने पूर्वी छोर पर चली जायेगी और वहाँ से फिर धीरे-धीरे पश्चिम की ओर आयेगी।” 

चार्ल्स इलियट (1895) को शिलिंगफ़ोर्ड की इस राय से इत्तिफ़ाक नहीं था और उनका कहना था कि, “इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नदी अपने पश्चिमी छोर पर पहुँच गई है और अगर यह पहुँच भी जाये तो भी इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वह एकाएक पश्चिम दिशा से धीरे-धीरे पूरब की ओर मुड़ने के बजाय एकबारगी ऐसा करेगी” उन्होंने कहा कि कोई भी भविष्यवाणी करने में थोड़ा संयम बरतना चाहिये और राय दी कि कोसी के बारे में निश्चित रूप से केवल इतना ही कहा जा सकता है कि उसका व्यवहार एकदम अनिश्चित है। अगर नदी की शोख़ी को ख़त्म करने के लिए कोई ऐसा प्रस्ताव आता है जिससे विशेषज्ञ सहमत हों तो सरकार अपनी तरप़फ़ से कुछ भी उठा नहीं रखेगी। 

लेकिन चार्ल्स इलियट ने अपनी राय तटबन्धों के बारे में बना रखी थी और कहा कि, “यह बताने की कोई जरूरत नहीं है कि इस तरह के सारे मामलों में तटबन्ध परियोजनाओं के समर्थकों के उद्देश्य इतने अच्छे हैं कि उनसे सहानुभूति न रख पाना नामुमकिन है। तटबन्धों से होने वाले फायदे एकदम साफ हैं और इनका तुरन्त लाभ मिलता है। लेकिन कम से कम बंगाल में ऐसा कभी नहीं हुआ कि तटबन्धों के निर्माण के कुछ ही वर्षो में परेशानियाँ न महसूस की गई हों और अक्सर तटबन्धों की वज़ह से ख़तरे इतने बढ़े हैं कि उन्हें मिट्टी में मिला देने के सवाल खड़े किये जाने लगते हैं। दामोदर और गोमती नदियों के मामले में तो पानी सिर पर से गुज़रने लगा और तब इन तटबन्धों को हटा देना पड़ा।”

बाढ़ और उसे जुड़ी यह सारी जानकारी डॉ दिनेश कुमार मिश्र के अथक प्रयासों का नतीजा है।

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

Related Tags

koshi river(8) kosi river(14) कोसी नदी(19)

More

अमल कुमार-रक्षाबंधन  रक्षाबंधन  भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन आप सभी देशवासियों के जीवन में उल्लास का संचार करे

अमल कुमार-रक्षाबंधन रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन आप सभी देशवासियों के जीवन में उल्लास का संचार करे

भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व है “रक्षाबंधन”, इसके अर्थ में ही छिपा हुआ है कि “रक्षा के लिए बंध जाना”. भाई-बहन के आपसी प्रेम और विश्व...

अमल कुमार - युवा जदयू दिल्ली प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष अमल कुमार को सौंपी गई दिल्ली जदयू महासचिव पद की जिम्मेदारी

अमल कुमार - युवा जदयू दिल्ली प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष अमल कुमार को सौंपी गई दिल्ली जदयू महासचिव पद की जिम्मेदारी

दिल्ली में नगर निगम के चुनाव भले ही अगले साल होने को है, पर सियासी पटल पर सत्तारूढ दल से लेकर हर विपक्षी सियासी दल अपनी जमीन को मजबूती प्रदा...

अमल कुमार - मुहर्रम की 10वी तारीख के मोकें पर कर्बला के शहीदों एवं हज़रात इमाम हुसैन की कुर्बानियों को नमन

अमल कुमार - मुहर्रम की 10वी तारीख के मोकें पर कर्बला के शहीदों एवं हज़रात इमाम हुसैन की कुर्बानियों को नमन

रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माने जाने वाले इस्लामिक नववर्ष का आगाज चांद दिखने के साथ शुरू होता है। इस्लामिक कैलेंडर की गणना चाँद के...

अमल कुमार-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं  स्वतंत्रता दिवस  आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंगल लाये

अमल कुमार-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वतंत्रता दिवस आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंगल लाये

सुंदर है जग में सबसे, नाम भी न्यारा है.. जहां जाति-भाषा से बढ़कर बहती देश-प्रेम की धारा है.. निश्चल, पावन, प्रेम पुराना, वो भारत देश हमारा ह...

अमल कुमार - श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत होने पर हार्दिक शुभकामनाएं

अमल कुमार - श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत होने पर हार्दिक शुभकामनाएं

दिल्ली के जंतर मंतर स्थित जदयू राष्ट्रीय कार्यालय के सभागार में जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन किया गया। केंद्रीय इस्पात मंत्री ...

अमल कुमार - जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्ति सहित अहम विषयों पर विस्तृत चर्चा

अमल कुमार - जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्ति सहित अहम विषयों पर विस्तृत चर्चा

जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक आज दिल्ली के जंतर मंतर स्थित जदयू राष्ट्रीय कार्यालय के सभागार में आयोजित की गई। हालिया नियुक्त केंद्रीय इ...

अमल कुमार - युवा जदयू पूर्व अध्यक्ष के प्रयासों से बेगूसराय एयरपोर्ट को मिलेगा नया जीवन, उड्यन मंत्रालय ने शुरू की कवायत

अमल कुमार - युवा जदयू पूर्व अध्यक्ष के प्रयासों से बेगूसराय एयरपोर्ट को मिलेगा नया जीवन, उड्यन मंत्रालय ने शुरू की कवायत

युवा जदयू पूर्व अध्यक्ष श्री अमल कुमार के प्रयासों से बेगूसराय एयरपोर्ट को नया जीवन मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। गौरतलब है कि गत वर्ष युवा जदयू...

अमल कुमार-महान स्वतंत्रता सेनानी उद्यम सिंह	 सरदार उद्यम सिंह बलिदान दिवस के शहीदी दिवस पर शत शत नमन

अमल कुमार-महान स्वतंत्रता सेनानी उद्यम सिंह सरदार उद्यम सिंह बलिदान दिवस के शहीदी दिवस पर शत शत नमन

साहस, शौर्य और प्रतिबद्धता के पर्याय, महान क्रांतिकारी सरदार उद्यम सिंह जी को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन। माँ भारती की अस्मिता के रक्षा...

अमल कुमार-हिंदी साहित्य जगत के पितामह, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती  मुंशी प्रेमचंद जयंती  पर कोटि कोटि नमन

अमल कुमार-हिंदी साहित्य जगत के पितामह, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कोटि कोटि नमन

"विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई स्कुल आज तक नहीं खुला और न ही खुलेगा.."अपने कुशल लेखन से समाज में व्याप्त समस्याओं और कुरीतियों पर चो...

अमल कुमार-राष्ट्र निर्माता, प्रखर राजनेता और भारत के मिसाइल मैन  डॉ अब्दुल कलाम पुण्यतिथि  डॉ अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रृद्धांजलि

अमल कुमार-राष्ट्र निर्माता, प्रखर राजनेता और भारत के मिसाइल मैन डॉ अब्दुल कलाम पुण्यतिथि डॉ अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रृद्धांजलि

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्य-तिथि के अवसर पर उनके यशस्वी कृतित्व, उनकी स्मृति को सादर प्रणाम अर्पित है. भारत के "म...

अमल कुमार-भाईचारे और एकता की मिसाल	 ईद-उल-अजहा  ईद-उल-अजहा की सभी देशवासियों को दिली मुबारकबाद

अमल कुमार-भाईचारे और एकता की मिसाल ईद-उल-अजहा ईद-उल-अजहा की सभी देशवासियों को दिली मुबारकबाद

चौतरफा खुशियां, मेले और चहल-पहल, यह सब भारत में त्योहारों की सबसे बड़ी पहचान है. हमारा देश त्योहारों का ही देश माना जाता है, जहां प्रत्येक धर...

अमल कुमार-वी पी सिंह जी पूर्व प्रधाममंत्री वीपी सिंह जयंती की जयंती पे उन्हें शत् शत् नमन

अमल कुमार-वी पी सिंह जी पूर्व प्रधाममंत्री वीपी सिंह जयंती की जयंती पे उन्हें शत् शत् नमन

देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की जयंती पर शत-शत नमन। अपनी कर्मठता, ईमानदारी और सिद्धांतों के चलते ख्या...

More

अमल जी के अपडेट पाने के लिए सब्सक्राइब करें

जनता दल यूनाइटेड के झंडे तले दिल्ली क्षेत्र में जनता के लिए लगातार कार्य कर रहे अमल जी अपने कार्यों को अपने पोर्टल पर लगातार अपडेट करते रहते हैं. इनके कार्यों से जुड़ने के लिए और जानने के लिए नीचे दिया फॉर्म भरें.

© Amal Kumar & Navpravartak.com Terms  Privacy