बिहार की बाढ़, सुखाड़ और अकाल का इतिहास लिख रहा हूं। आज 1966 पूरा किया। उसकी एक हल्की सी झांकी यहां शेयर कर रहा हूं। इस साल बाढ़ भी थी और 1966-67 वाले अकाल की बुनियाद भी हथिया के पानी के न बरसने से पड़ी थी। मैंने इन बातों का संकलन भर किया है और इसमें मेरा कहा कुछ भी नहीं है।
1. एक तिहाई सरकारी सुविधाएं नेताओं के भाषणों और अफसरों के वक्तव्य में खप जाती हैं, एक तिहाई सुविधाएं सेक्रेटरिएट की फाइलों में दबी रह जाती हैं और बाकी एक तिहाई बी.डी.ओ. की टेबल पर पड़ी धूल फाँकती है।
2. गंगा और महानन्दा की बाढ़ से पूर्णिया को बचाने के लिये ध्यानाकर्षण प्रस्ताव 1964 में किया गया था और उसके पहले सरकार को इस समस्या की जानकारी भी नहीं थी। यह काम सरकार को करना चाहिये।
3. कोसी परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि पूर्णिया और सहरसा के डी.एम. जितना पैसा नहीं पाते हैं उससे कई गुना कोसी एरिया के ओवरसियर कमाते हैं।
4. देश की समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास करें। इसके लिये अन्न उत्पादन में वृद्धि और जनसंख्या को कम करना होगा। देश जब तक आत्मनिर्भर नहीं होगा तब तक स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं होता है।
5. बहुत से परिवारों में तो चावल लोगों ने खाना ही बन्द कर दिया था या बहुत कम कर दिया था। अब चावल खाना संभ्रांत होने का सूचक हो गया था।
6. जो हालत बाँध बनने के पहले थी, उससे बदतर हालत अब हो गयी है।
7. प्राकृतिक संकटों पर न जनता का और न सरकार का ही कोई वश है। हाँ, जनता तथा सरकार ने इन उपर्युक्त इन सारी विपत्तियों का सामना धैर्य, साहस तथा उपलब्ध संसाधनों के द्वारा किया है और कर रही हैं।
8. लेकिन आज के युग में यह मान लेना कि प्रकृति प्रकोप के लिये हमारे पास कोई दवा नहीं है, मैं ऐसा नहीं मानता।
9. उनका कहना था कि बाढ़ तो दैविक होती है पर इन गाँवों में यह दैविक न होकर सरकारी अफसरों का कृत्रिम प्रकोप है।
10. मेरा तो अपनी सरकार से आग्रह है कि हमारे यहाँ जो कमला का तटबन्ध है उसे तोड़ देना चाहिये। वहाँ के लोग यह चाहते हैं कि जमीन की जो स्थिति तटबन्ध बनने के पहले थी उसी हालत में हो जानी चाहिये।
11. बिजली विभाग ने कहीं तो पोल ही नहीं दिया, कहीं दिया तो लाइन नहीं दी, लाइन दी तो ट्रांसफार्मर नहीं बैठाया और ट्रांसफार्मर बैठाया तो पम्प नहीं दिया।
12.1885-86 के इस ऐक्ट के तहत लोगों को बीस रुपये घर बनाने के लिये दिये जाते हैं। मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या लोग टाट, बोरा, टीन का मकान बनायेँगे?
13. 24 अगस्त की रात में बाढ़ आयी और 25 तारीख की रात को बाढ़ इतनी जबरदस्त हो गयी, जिसको हाथी डुब्बा पानी कहते हैं वैसी स्थिति हो गयी थी।
14. जब तक बाढ़ को रोकने के लिये नेपाल सरकार की सहायता नहीं लेते हैं इसे नहीं रोक सकते। नेपाल सरकार से ही पता लगायेँ कि कितनी वर्षा हुई, किस नदी में कितना फुट पानी आ रहा है?
15. अदौरी गाँव में हर साल बाढ़ से कटाव होता है। आज लगभग 10 वर्षों से हर साल वहाँ बाँध बाँधा जाता है और कट जाता है।
16. सुनने में आया है कि सरकार की ओर से 50 नावें चल रही हैं। बाढ़ आने के 10 दिन बाद नौका का आर्डर दिया जाता है, यह तो हालत है।
17. 36 और 20 प्रतिशत एम्बैंकमेंट में जो ब्रीच हुआ है उसके लिये सिंचाई विभाग जिम्मेवार है और बाकी की जिम्मेवारी वह नहीं लेते। बाकी के लिये वे कहते हैं कि राजस्व विभाग, रिवर वैली प्रोजेक्ट और एग्रीकल्चर विभाग की जिम्मेवारी है।
18. जहाँ बराबर बाढ़ नहीं आती है वहाँ अगर रिलीफ पहुँचने में देर हो तो एक समझने की बात है लेकिन जहाँ हर साल बाढ़ आती है वहाँ अगर टूटी नौका रहे और रिलीफ समय पर नहीं पहुँचे तो यह बिल्कुल समझ में नहीं आती।
19. आपको लोगों की तबाही का तमाशा देखने में मजा आता है और आपको लोगों के बीच रिलीफ बांटने में भी मजा मिलता है। आज उन्नीस वर्षों से आपका यही तमाशा चल रहा है।
20. मुजफ्फरपुर में जिसकी जिम्मेदारी थी कि बाँध को बचाये, मोहल्ले को बचाये, शहर को जल प्लावित होने से बचाये लेकिन ऐसा न करके सरकारी कर्मचारी रात भर ताश खेलते रहे और अपनी गैर-जिम्मेवारी का सबूत देते रहे।
21. सारण जिले के चार लाख लोग प्यारेपुर में बाढ़ से बर्बाद हो गये हैं। कहने के लिये कहा गया कि मुख्यमंत्री और जनकार्य मंत्री गये लेकिन कहाँ गये, तमाशबीन की तरह गये और तमाशा देख कर वापस आ गये।
22. विधायक रामानंद यादव का कहना था कि बैकुंठपुर, प्यारेपुर, मशरख के 78 गाँवों में पानी चला गया है और अब पानी आगे जा रहा है। हो सकता है पानी सोनपुर तक आ जाये और हरदिया चौर को भी बर्बाद करे... आजकल के पदाधिकारीगण को फांसी पर लटका दिया जाये तो वह भी थोड़ा होगा।