काली नदी से जुडी विभिन्न समस्याओं को लेकर ग्राम अंतवाडा में खुलकर चर्चा की गयी, जिसमें नीर फाउंडेशन से रमन कान्त के साथ साथ खतौली से एसडीएम सहित विभिन्न भागों के पदाधिकारियों, अधिकारियों और ग्रामवासियों ने भागीदारी की, जिसमें मुख्य तौर पर एसडीएम अजय कुमार अम्बष्ट, बाल विकास परियोजना अधिकारी राहुल कुमार, बीडीओ पवन विश्वकर्मा, ग्राम प्रधान जितेन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गालिबपुर से प्रभारी चकित्सा अधिकारी डॉ. अविनाश इत्यादि उपस्थित रहे. इस पंचायत में काली नदी को पुनर्जीवन देने के अभियान के साथ साथ गांव की समस्याओं से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा की गयी. इस दौरान गांववासियों ने भी अधिकारियों को बहुत सी समस्याओं से अवगत कराया.
गाँव के प्राथमिक विद्यालय परिसर में हुई इस पंचायत में काली नदी उद्धार कार्यों में आपसी भागीदारी, गांव से निकलने वाले पानी के निस्तारण, रसायनमुक्त कृषि, तालाबों व पिटों के निर्माण संबंधी प्रक्रिया, नदी कार्य को लेकर बजट, ग्राम स्वच्छता को लेकर अभियान आदि को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गयी. पंचायत में मौजूद पदाधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि वे गांव और किसानी से जुडी हर एक समस्या पर विचार करेंगे और उनका उचित समाधान भी निकालेंगे. पंचायत में कुछ महिलाओं को पेंशन नहीं मिलने पर उन्हें सहायता देने की बात की गयी तो एक ग्रामीण को आवास विकास योजना के तहत भवन नहीं मिलने पर वर्तमान में पंचायत घर में रहने और जल्द ही घर दिलवाने के संबंध में भी चर्चा हुयी.
इस दौरान नीर फाउंडेशन से रमनकांत ने बताया कि नदी पुनर्जीवन को लेकर ग्रामवासियों ने जो सहयोग दिया, वह काबिले तारीफ है. अब आवश्यक है कि इससे जुड़े अन्य कार्यों के लिए बजट मुहैया हो सके, जिससे कार्य अवरुद्ध न हो और गति के साथ जारी रहें. उन्होंने यह भी बताया कि वह स्वयं सिंचाई विभाग के साथ मिलकर अफसरों से तालाबों की खुदाई, जल के निस्तारण संबंधी सभी योजनाओं पर विशेष चर्चा करेंगे. सबसे बड़ा कदम नदी को प्रवाह देना है, जिसके लिए खतौली नहर का पानी उपयोग में आएगा.
ग्रामवासियों ने भी पंचायत में एकस्वर में बताया कि वें काली को संरक्षित करने की मुहीम का पुरजोर समर्थन करते हैं और उनकी ओर से हरसंभव प्रयास किया जायेगा कि नदी को पुनः प्रवाहमान व स्वच्छ बनाया जा सके. गौरतलब है कि नदी कार्य को गति देने के लिए ग्रामीणजन श्रमदान कर रहे हैं, खुदाई में सहयोग देने से लेकर नदी किनारे पौधारोपण और जन जागरूकता तक वें हर अभियान में सतत सहयोग दे रहे हैं, जिसकी सर्वाधिक आवश्यकता इस समय काली को है.