केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (46) :
हिमालयन-शिवलिंग के बहु स्वरूपिय जलधारी, भूतलीय बहुमूल्य खनिजों के खजानों में अवस्थित है. वह खजाना जलाशयों में रूपांतरित बहुमूल्य औषधीय समुद्र है.
हे पत्थर स्वरूप में घर्षण-शक्ति शून्य के कोमल जल की विभिन्न रंगों, स्वादों और रासायनिक-गुणों को हिमालयन-शिवलिंग के एक ही जलधारी से निरंतरता से प्रस्फुटित प्रवाहित कर भारत धराधाम के विभिन्न क्षेत्रों में उनके अनेकानेक वातावरणीय संतुलन का निर्वहन करने वाले भोलेनाथ! आप का पर्वतीय शिवलिंग पृथ्वी-रूप जलधरी के कितना भीतर है? यदि पृथ्वी सतह से ऊपर आपके शिवलिंग की ऊँचाई 7 किलोमीटर से ज्यादा है तो पृथ्वी सतह के भीतर यह कितना है और किस स्वरूप का है? जिसके तहत विभिन्न-गुणों वाले जलों की विभिन्न मात्राएं निरंतरता से अव शोषित और आवेष्टित होकर न जाने कब से प्रवाहित होती आ रही हैं? लगता है आपका गूढ़ रूप पाताली-जलसमुद्र की गहराई में गूढ़ अर्थ डुबोए हुए है. फिर भी हे भोलेनाथ! एक ही युक्त से विभिन्न रंगों-स्वादों एवं अन्य-गुणों के जल को कैसे धारण करता? यह बुद्धि से परे लग रहा है.
क्या आपका जलधरी-रूप-सूढ़ विभिन्न गुणों के पत्थरों या खनिजों का है? जो भी हो, हे अद्भुत जलधरी को धारण करने वाले आप को कोटिशः प्रणाम.
केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (47) :
हिमालयन-शिवलिंग, जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है :
हे डमरू को डमडमाने वाले, इससे निस्तरित रूपांतरित होते विभिन्न आवृत्ति आयामों की तरंगों से सम्पूर्ण आकाश को सनसनाती ऊँ की ध्वनि से गुंजायमान करने वाले भोलेनाथ! आपके हिमालयन-शिवलिंग के विभिन्न जलप्रपातों से आह्लादित ध्वनि-तरंगें ऊँ-ऊँ-ऊँ-ऊँ-ऊँ का उच्चारण करती है क्या? क्या इन जल स्त्रोतों से गूंजता मंत्र, शक्ति-तरंग आपको सादर समर्पण है? क्या यही शक्ति, पाँच-दिशाओं की वाष्पीकरण की ढ़ाल, ताप, दबाव और आद्रता की ग्रेडिएंट, वायु के विभिन्न-चरित्रों को पल-पल से रूपांतरित करते उनको बदलते आवेगों से विभिन्न दिशाओं की विभिन्न दूरियों के लिये अग्रसारित करने है? क्या इसी का नाम जलवायु है? क्या इस पर्वतीय शिवलिंग की ऊँचाई जलवायु परिवर्तन की दूरी हैं भोलेनाथ। आप को कोटिशः प्रणाम है.