श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी की साधना और उपासना का दिन है. माता के इस स्वरुप के पूजन में कन्यापूजन का भी विशेष विधान है. देवी दुर्गा के नौ रूपों में महागौरी आठवीं शक्ति स्वरूपा हैं. महागौरी आदि शक्ति हैं, जिनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशवान होता है. मां महागौरी का उजान जीवन में मंगल लेकर आता है और इनकी अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
दुर्गा सप्तशती के अध्यायों के अनुसार जब शुम्भ और निशुम्भ नामक दैत्यों ने सारी धरती को आतंकित कर दिया था और देवताओं को पराजित कर स्वयं स्वर्ग पर अधिकार कर अन्याय और अनाचार से सृष्टि को व्याप्त कर दिया था, तब सब देवताओं ने गंगा के तट पर आराधना करते हुए महागौरी का ही पूजन किया था, जो उस समय माता पार्वती के अंश से प्रकट हुई एवं उन्होंने जगत को असुरविहीन बनाया. इन्हें शिवा और शाम्भवी के नाम से ही जाना जाता है.
देवी दुर्गा का प्रत्येक स्वरुप पूजनीय है और हमें हर्षोल्लास से भर देने वाला है. जैसे माता अपने बच्चों की प्रथम गुरु मानी जाती है और अपने सौम्य, गंभीर, हास्यप्रद, क्रोधित, विनम्र, आदर्श इत्यादि प्रत्येक गुण के द्वारा बच्चों को कुछ न कुछ सिखाती है. ठीक वैसे ही मां दुर्गा के भी ये नव स्वरुप हैं, जिनसे हम सभी कुछ न कुछ गुण अर्जित करते हुये संसार रूपी सागर को पार करते हैं.
आप सभी भक्तजनों पर मां दुर्गा के अष्टम स्वरुप देवी कालरात्रि का आशीष और प्रेम सदा सर्वदा ऐसे ही बना रहे, इन्हीं मनोकामनाओं के साथ आप सभी को आठवें नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं.
आपका
अमल कुमार
प्रदेश अध्यक्ष (युवा जदयू दिल्ली प्रदेश)