सनातन धर्म शास्त्रों में पतित पावनी गंगा नदी को मोक्षदायिनी "मां" का गौरव प्राप्त है, अनेकों संस्कृतियाँ, परम्पराएं और सभ्यताऐं गंगा के पवित्र तटों पर विकसित हुई हैं। महाकाव्य "रामायण" और "महाभारत" की बात करें, तो यदि गंगा नहीं होती, तो यह कथाएं भी अपूर्ण रह जाती। पौराणिक काल से ही उत्तर भरत के विकास की बागडोर गंगा ने संभाली हुई है, न केवल धार्मिक या ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य अपितु अर्थव्यवस्था के विकास में भी गंगा का योगदान किसी से छिपा नहीं है।
किंतु वर्तमान में गंगा नदी मानवीय कृत्यों, भौतिकतावाद और अति विकास की भेंट चढ़ते हुए इतनी प्रदूषण युक्त हो गई है कि आज मोक्षदायिनी भी अपने मोक्ष की कामना कर रही है। देशभर में विभिन्न स्थानों पर तो गंगाजल आचमन के लायक भी नहीं रह गया है। गंगा के तट पर बसी मां विंध्यवासिनी की पवित्र भूमि मिर्जापुर में आज गंगा इस कदर मैली हो चुकी है कि यदि यहां गंगाजल की एक बूंद का भी सेवन कोई कर ले, तो वह जानलेवा सिद्ध हो सकता है।
गंगा निर्मलीकरण के लिए निर्मित हुई संस्था आज सेवा के नाम पर गंगा को लगातार प्रदूषित कर रही है। नदी में निरंतर नालों का गंदा बदबूदार पानी बहाया जा रहा है। मिर्जापुर में लगभग 27 बड़े नालों का अपशिष्ट (जिनमें कुछ का पानी शोधित तो कुछ का बिना ट्रीटमेंट के) सीधे नदी में डाला जा रहा है। जनपद में कुल 27 बड़े नाले मौजूद हैं, जिनमें से 17 बड़े नालों का पानी बिना किसी शोधन के नदी में जा रहा है। हालांकि निगम के द्वारा कहा जा रहा है कि 2024 तक सभी नालों को एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा, जिसके बाद शोधन के बाद ही यह नदी में गिरेंगे।
नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत लगभग 130 करोड़ की लागत से गंगा की स्वच्छता पर काम चल रहा है, जिसके तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करके नालों के पानी को टेप्ड कर एक जगह लाने और उसके शोधन पर कार्य जारी है। लेकिन यह प्रक्रिया फिलहाल कछुआ चाल चल रही है, वर्तमान में इस परियोजना का आधा काम ही पूरा हुआ है। 17 नालों से अभी तक गंगा प्रदूषित हो रही है जो कि बेहद गंभीर विषय है।
जनपद के नालों से आकर तालाब में जमे अपशिष्ट को गंगा में जाने वाले लिंक में गिराया जा रहा है, जिसके पीछे कारण तालाब की तलहटी की सफाई को बताया गया है और अधिकारियों द्वारा जनवरी 2024 तक इसी तरह गंदा पानी प्रवाहित किए जाने की बात की गई। वर्तमान में स्थिति इतनी खराब है कि इस लिंक के पास से गुजरना भी मुश्किल है, इस अपशिष्ट युक्त असंशोधित पानी से आस पास के वातावरण के प्रदूषित होने का खतरा भी बना हुआ है। साथ ही जीव-जन्तुओ के लिए भी यह घातक है।