गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः..!!
किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरु का महत्त्व सर्वाधिक है. हमारे ज्ञान, जानकारी और वास्तविक जागरण के धारक शिक्षक ही होते हैं जो हमें हमारे जीवन के रंगमंच के लिए तैयार करते हैं. जीवन के हर पड़ाव पर शिक्षकों द्वारा दी गयी सीख हमारे सामने प्रकाश स्त्रोत की तरह कार्य करती है. भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में हर वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के सर्वप्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे और इन गौरवमयी पदों पर आसीन होने से पहले वह एक शिक्षक थे.
पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन आज ही के दिन वर्ष 1888 में तमिलनाडु के थिरुत्तानी में जन्में थे. एक अध्यापक के तौर पर सेवाएं देते हुए उन्होंने देश-विदेश के अनगिनत विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाया. चेन्नई, कोलकाता, वाराणसी, मैसूर के कईं नामी विश्वविद्यालयों के साथ साथ लन्दन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में भी दर्शनशास्त्र के शिक्षक रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का अध्यापन के प्रति सदैव ही विशेष लगाव रहा और उनका मानना था कि "पुस्तकें वह साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच एक पुल का निर्माण कर सकते हैं." भारतरत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन निरंतर पांच वर्षों तक साहित्य के नोबल पुरस्कार की श्रेणी में नोमिनेट भी हुए थे.
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन न केवल एक समर्पित शिक्षक रहे बल्कि वह एक महान राजनयिक, अध्येता और फिलोसोफर के रूप में भी याद किये जाते हैं. वर्ष 1962 में उनके राष्ट्रपति बनने पर उनके कुछ विद्यार्थियों ने 5 सितम्बर को उनका जन्मदिवस मनाने का निवेदन किया, जिस पर उन्होंने विनम्रता से कहा कि आज मेरा जन्मदिन मनाने के स्थान पर क्यों ना अध्यापन के प्रति समर्पण दिखाने वाले शिक्षकों को सम्मान देते हुए "शिक्षक दिवस" मनाया जाए और उनके इस कथन के बाद से देश भर में पांच सितम्बर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
वास्तव में शिक्षकों का महत्त्व एक विद्याथी के जीवन में सर्वाधिक है. शिक्षक उस कुम्हार के समान हैं जो न केवल हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस योग्य बनाते हैं कि घोर अंधकार होने के बावजूद भी हम प्रकाशवान रह सकें और अपने समाज, राष्ट्र व वैश्विक परिवार को प्रबुद्ध कर सकें. शिक्षकों के इस निस्वार्थ एवं बहुमूल्य ज्ञान की तुलना किसी अन्य वस्तु से नहीं की जा सकती और ना ही इसके बदले में उन्हें कुछ दिया जा सकता है. इसलिए आप सभी भी अपने शिक्षकों का सम्मान करें और अपनी हर एक सफलता के लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करें. इसी के साथ आप सभी को शिक्षक दिवस की कोटि कोटि शुभकामनाएं.