वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
यानि देवी वृषभ पर विराजित हैं. शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है और यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं.
नवरात्रि के प्रथम दिन पूजे जाने वाले देवी के स्वरुप को मां शैलपुत्री के नाम से सभी भक्तजन जानते हैं. माना जाता है कि मां शैलीपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और माता पार्वती का ही अवतार हैं. नवरात्र के प्रथम दिवस देवी दुर्गा के इस मंगलमय स्वरुप का दर्शन और ध्यान करते हुए उचित मंत्रोचारण के साथ भोग-नैवेध अर्पित करते हुए देवी शैलपुत्री की आराधना करने से हम सभी के जीवन में सौम्यता आती है.
देवी दुर्गा का प्रत्येक स्वरुप पूजनीय है और हमें हर्षोल्लास से भर देने वाला है. जैसे माता अपने बच्चों की प्रथम गुरु मानी जाती है और अपने सौम्य, गंभीर, हास्यप्रद, क्रोधित, विनम्र, आदर्श इत्यादि प्रत्येक गुण के द्वारा बच्चों को कुछ न कुछ सिखाती है. ठीक वैसे ही मां दुर्गा के भी ये नव स्वरुप हैं, जिनसे हम सभी कुछ न कुछ गुण अर्जित करते हुये संसार रूपी सागर को पार करते हैं.
आप सभी भक्तजनों पर मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप देवी शैलपुत्री का आशीष और प्रेम सदा सर्वदा ऐसे ही बना रहे, इन्हीं मनोकामनाओं के साथ आप सभी को पहले नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं.
आपका
अमल कुमार
प्रदेश अध्यक्ष (युवा जदयू दिल्ली प्रदेश)