दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।
यानि देवी जिन्होंने एक हाथ में जप माला और दूसरे में कमंडल धारण किया हुआ है, वह ध्यान किये जाने पर लंबी आयु और दृढ़ संकल्पवान होने का आशीर्वाद देती हैं और यही नवदुर्गाओं में द्वितीय दुर्गा हैं.
ब्रह्मचारिणी देवी को तप की देवी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया. उन्होंने अपनी अडिगता और ध्यान संकल्प को कभी भी कम नहीं होने दिया, इसीलिए शास्त्रों में देवी को तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यताआों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जिन्होंने देवर्षि नारद के कहने पर भगवान शंकर की अर्धांगिनी बनने के लिए कड़ी तपस्या की. इसके साथ ही यह मान्यता है कि माता के इस रूप का ध्यान छात्रों और जिज्ञासुओं के लिए सर्वाधिक उचित है क्योंकि इनके पूजन से मन स्थिर रहता है. साथ ही ब्रह्मचारिणी माता का यह स्वरुप कठोर परिश्रम की शिक्षा देता है और व्यक्ति को दृढ़ संकल्पित बनाता है.
आप सभी भक्तजनों पर मां दुर्गा के द्वितीय स्वरुप देवी ब्रह्मचारिणी का आशीष और प्रेम सदा सर्वदा ऐसे ही बना रहे, इन्हीं मनोकामनाओं के साथ आप सभी को द्वितीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं.
आपका
अमल कुमार
प्रदेश अध्यक्ष (युवा जदयू दिल्ली प्रदेश)