केंद्र सरकार ने जब से नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पारित कराया है, तभी से देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन दिख रहा है. लोग बिना इस बिल को समझे सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उग्रतापूर्ण प्रदर्शन करते हुए देश की शांति को भंग करने का प्रयत्न कर रहे हैं, जो कि हर लिहाज से गलत है. इस बिल में ऐसा कुछ भी गलत नहीं है, जिससे भारतीय नागरिकों को हानि हो. आइये इस बिल से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य हम समझते हैं, जिससे लोगों के बीच गर्म अफवाहों का बाजार थम सके और विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगे.
क्या है नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी
नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए 2019 कहता है कि हमारे तीन पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक वर्गों, जिनमें हिंदू, सिख, इसाई, पारसी, बोद्ध और जैन समुदाय शामिल है, वें यदि धार्मिक उत्पीडन के चलते भारत में शरण चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें छह वर्ष भारत में रहना होगा, जिसके बाद इस बिल की सहायता से उन्हें भारतीय नागरिकता मिल जाएगी. इससे पहले भारत की नागरिकता पाने के लिए 12 साल भारत में रहना जरुरी था, जो अब घटकर छह साल रह गया है.
जबकि एनआरसी यानि नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सिटीजन से तात्पर्य देश में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान करने से है, इसके जरिये अवैध तौर पर किसी भी अन्य देश से आये लोगों की पहचान की जाती है.
भारतीय मुसलमानों को सीएए और एनआरसी से क्यों नहीं घबराना चाहिए
यह संशोधन बिल किसी भी भारतीय नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से संबंधित हो, उस पर कोई प्रभाव नहीं डालता है. यदि आप पहले से ही भारत के नागरिक हैं तो आपको इस बिल से घबराने की आवश्यकता नहीं है.
पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिमों के लिए भारत की नागरिकता का क्या प्रावधान है
नागरिकता कानून का सेक्शन 6 कहता है कि कोई भी विदेशी व्यक्ति भारतीय नागरिकता ले सकता है. इसके साथ ही कानून के सेक्शन 5 के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. ये दोनों प्रावधान पहले की ही तरह मौजूद है, इनमें कोई भी बदलाव नहीं किया गया है.
बीते वर्षों में इन तीनों देशों से आने वाले सैकड़ों मुसलमानों को इन्हीं प्रावधानों के जरिये भारत की नागरिकता मिली है. भविष्य में भी अगर इन देशों के मुस्लिम नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं, तो योग्य पाए जाने पर उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सकती है.
यदि किसी व्यक्ति के पास नागरिकता सिद्ध करने के प्रासंगिक दस्तावेज नहीं हो तो वह क्या करेगा
यदि अशिक्षा, अज्ञान या किसी घटना के कारण किसी व्यक्ति के पास अपनी नागरिकता साबित करने के पुख्ता प्रमाणपत्र नहीं है, तो संबंधित अधिकारी उसे गवाह, सामुदायिक सत्यापन जैसे विभिन्न सबूत लाने की अनुमति देंगे. इसके लिए एक उचित प्रक्रिया का पालन होगा और किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा.
क्या नागरिकता सरकार के हाथों में तय होगी
भारत में नागरिकता तय करने का आधार 1955 का नागरिकता अधिनियम है, जिसके आधार पर पांच तरीके बताये गए हैं, जिनसे किसी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता सिद्ध होती है, जिनमें..
1. जन्म से नागरिकता
2. वंश द्वारा नागरिकता
3. पंजीकरण द्वारा नागरिकता
4. देशीकरण के आधार पर नागरिकता
5. राज्य क्षेत्र के मिल जाने से नागरिकता
क्या एनआरसी के आने पर नागरिकता साबित करने के लिए माता पिता, पूर्वजों के जन्म का विवरण देना होगा
किसी भी व्यक्ति के लिए केवल अपने जन्म का विवरण और उससे जुड़ा कोई भी दस्तावेज दिखाना काफी है. यदि यह उपलब्ध नहीं है तो माता-पिता के जन्म से जुड़ी जानकारी देनी पड़ सकती है, लेकिन किसी भी दस्तावेज को अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने की जरुरत नहीं है. जन्म तिथि और जन्म स्थान से जुड़ा कोई भी दस्तावेज जमा करके नागरिकता साबित की जा सकती है और इन दस्तावेजों की सूची काफी लम्बी है, जिनमें मुख्य रूप से वोटर आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट, लाइसेंस, बीमा कागजात, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट, घर/भूमि के कागजात आदि हैं. इनकी सूची काफी बड़ी रखी गयी है ताकि कोई भी भारतीय नागरिक अनावश्यक रूप से परेशान नहीं हो.
क्या एनआरसी आने पर वर्ष 1971 से पहले की वंशावली भी साबित करनी होगी
यह केवल असम एनआरसी के लिए ही मान्य था और असम समझौते द्वारा जारी निर्देशों पर लागू किया गया था. शेष देश में यह प्रक्रिया मान्य नहीं है, शेष भारत के वासियों को ऐसा कोई भी प्रमाणपत्र या कोई अन्य दस्तावेज देने की जरुरत नहीं है.
इस तरह किसी भी भारतीय नागरिक को इन कानूनों से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए आप सभी से निवेदन है कि किसी भी तरह की अफवाह में आकर उपद्रवियों की भीड़ में शामिल होने के बजाय आप अपनी बौद्धिकता से कार्य करें. यह देश आपका है और इसकी संपत्ति भी आपकी है, इसलिए इसका नुकसान कर आप अपनी ही संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसा न करें, अपनी ओर से ऐसी कोई भी विडियो या सन्देश आगे न भेजे जिसमें कुछ भी आपत्तिजनक हो. शांत रहे और संयम से कार्य करें. किसी भी अधिकारिक सरकारी वेबसाइट पर जाकर अच्छे से नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी को जाने, उसके बाद ही कोई भी निर्णय लें.
साभार
अमल कुमार